गेंहू रबी की मुख्य फसल है। मध्यप्रदेश में उगाई जाने वाली खाद्यान्न फसलों में गेहूं का मुख्य स्थान है।गेहूं की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए विभिन्न दशाओं के अनुसार उन्नत प्रजातियों का चयन शुद्ध और प्रमाणित बीज का उपयोग संतुलित उर्वरकों का उपयोग एवं समय से सिंचाई पर अधिक ध्यान देना आवश्यक है।
1.भूमि व खेत की तैयारी:- गेहूं की खेती कई प्रकार की भूमि में की जाती है, परंतु मध्यम व भारी भूमि इसके लिए अधिक उपयुक्त है। खरीफ की फसल काटने के तुरन्त बाद जुताई करें। दो या तीन बार बक्खर या हल चलाकर जमीन भुरभुरी बनाए। भूमि में नमी का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है। ताकि गेहूँ की बुवाई की जा सके।
2.उन्नत किस्में:-
असिंचित अर्धसिंचित:- सी-306, सुजाता , एच.उब्ल्यू-2004, हर्षिता ( एच.आई.-1531 )
सिंचित:- लोक-1, जी.डब्ल्यू.-273, जी.डब्ल्यू.-322, जी.डब्ल्यू.-366, एच.आई.-1544, एच.आई.-8498, एच.आई.-8663, एच.आई.-8713, एच.आई.-8759, एच.आई.-8737, पी.बी.डब्ल्यू.-343, पी.बी.डब्ल्यू.-502, पी.बी.डब्ल्यू.-550, डब्ल्यू.एच.-147, राज-4037, एच.डी.-2967, एम.पी.-1203
3.बीजदर:-
असिंचित:- 100-125 किग्रा. / है.
सिंचित :- 100 किग्रा. / है.
4.बीजोपचार:- बोने के पूर्व बीज का उपचार अवश्य करें। इसके लिए कार्बनडाजिम, विटावेक्स या थायरम नामक दवा 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
5.बुआई का समय:- 25 अक्टूबर से 30 नवम्बर तक का समय बुवाई के लिए उपयुक्त है।
6.संतुलित उर्वरक:-
(i)असिंचित:- 40 किग्रा/है. नत्रजन, 20 किग्रा/है. फास्फोरस, 10 किग्रा / है पोटाश ।
(ii)अर्धसिंचित:- 60 किग्रा/है. नत्रजन, 30 किग्रा/है. फास्फोरस, 15 किग्रा/है. पोटाश ।
(iii)सिंचित:- 120 किग्रा/है. नत्रजन, 60 किग्रा/है. फास्फोरस, 30किग्रा/है. पोटाश ।
नोट :- 25 किग्रा ज़िन्क सल्फेट प्रति हैक्टेयर 2 वर्ष में एक बार बुआई के समय भुरकाव अवश्य करें ।
7.सिंचाई:- सिंचाई की संख्या पानी की उपलब्धता पर निर्भर है। परन्तु पहली सिंचाई देना आवश्यक है। दो सिंचाई की सुविधा हो तो पहली 20-25 दिन पर एवं दूसरी 100- 105 दिन पर। तीन सिंचाई सुविधा होने पर पहली सिंचाई 20-25, दूसरी सिंचाई 60-65 दिन पर, तीसरी सिंचाई 100 दिन पर करें।
बोनी जातियों में 5-6 सिंचाई की आवश्यकता हो सकती है। पहली सिंचाई 21 दिन, दूसरी 40 दिन, तीसरी 60 दिन, चौथी 75-80 दिन, पाँचवी 95-100 दिन पर करना चाहिये।
8.खरपतवार निमंत्रण:- समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें और फसल का खरपतवार मुक्त रखें। यदि मजदूरी अधिक महंगी हो तो रसायन का उपयोग करें।
9.फसल कटाई:- जब गेहूँ की बाली सूख जाये एवं दाना पूर्ण रूप से पक जाये तब कटाई करें।
अधिक उत्पादन लेने के लिये आवश्यक बातें:-
- बीज बोने से पहले अंकुरण क्षमता की जांच करें।
- सही समय एवं उपयुक्त नमी होने पर बुवाई करें।
- सही किस्मों का प्रमाणित बीज का उपयोग करें।
- बीजोपचार करें।
- मिट्टी परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरक उपयोग करें।
- समय पर सिंचाई का ध्यान रखें।
- समय पर पौध संरक्षण करें।
- खरपतवारों का समय से नियंत्रण करें।
- जोत के आकार अनुसार 2 या अधिक किस्मों को चमन पकने की अवधि अनुसार करें।
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