प्रत्येक किसान की इच्छा होती है कि वह कृषि से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करें । परंतु क्या आप उसके लिए सही एवं समय पर उपाय करते हैं ?शायद नहीं । क्योंकि किसी व्यवसाय में तभी अधिक लाभ मिलता है जब उसमें लागत कम हो एवं बचत ज्यादा हो एवं लागत व आय का सही-सही हिसाब रखा जाए ।संभवतः बहुत कम किसान ऐसे हैं जो खेती का हिसाब किताब रखते हैं ।
किसानों के लिए बहुत स्वर्णिम समय है क्योंकि शासन द्वारा वर्तमान में कृषकों के लिए सबसे अधिक योजनाएं चलाई जा रही हैं तथा खाद, बीज, गहरी जुताई, कल्चर, बायोगैस, नलकूप खनन, कीटनाशक एवं नींदानाशक औषधि, ट्रेक्टर, कृषि यंत्र , पौध संरक्षण यंत्र , फसल कटाई एवं गहाई के यंत्र आदि पर अनुदान दिया जा रहा है। कम ब्याज पर आवश्यक ऋण किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से प्रदान किया जा रहा है । खेती के लिए आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण, सेमिनार, कृषि प्रदर्शनी, मेला, खेत पाठशाला, कृषक दिवस, फसल प्रदर्शन, राज्य एवं अंतर्राज्यीय भ्रमण आयोजित किये जाते हैं। उनका लाभ उठायें ।
लाभ लेने के लिए आपको क्या करना है :-किसान कल्याण तथा कृषि विभाग के किसी भी कार्यालय में जाकर अथवा दूरभाष पर उक्त विषयों की जानकारी ले सकते हैं प्रदेशिक किसान कॉल सेंटर पर नि:शुल्क फोन कर सकते हैं इसका फोन नंबर है 18002334433 है।
किसी कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिकों से सलाह ले सकते हैं ।अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें ।
खेती पर लगने वाली लागत को कम करें :-इसके लिए स्वयं का बीज एवं स्वयं का खाद वर्मी कंपोस्ट, नाडेप विधि से तैयार करें, बायोगैस संयंत्र लगाकर अच्छा स्लरी खाद एवं गैसीय ईंधन बना सकते हैं, इससे ग्रहणी भी खुश होगी। स्वयं ही कीटनाशक दवाएं बनायें, जैविक विधि से नीम, खट्टी छाछ, करंज, लहसुन, धतूरा, लाल मिर्च एवं गोमूत्र से अच्छे एवं सस्ते कीटनाशक दवायें आप स्वयं बना सकते हैं।
1.आप जानते हैं कि उर्वरक एवं कीटनाशक बहुत महंगे हैं। जैविक कीटनाशक स्वयं बनाकर काफी पैसा बचा सकते हैं। उर्वरको के साथ कंपोस्ट खाद देने से लागत कम होगी।
2.खेत की मिट्टी का परीक्षण कराकर आवश्यक खाद, उर्वरक देने से भी काफी पैसे की बचत होती है, क्योंकि बिना किसी परीक्षण के आपको क्या पता की खेत की मिट्टी में किस तत्व की कमी है। जो तत्व कम है सिर्फ उसी को दिया जाना चाहिए।
3.गर्मी के मौसम में गहरी जुताई करके मिट्टी को पलटने से खेत में पलने वाले कीट एवं रोगों के रोगाणु धूप से नष्ट हो जाते हैं तथा वर्षा का जल बेकार होने से बच जाता है। मिट्टी में हवा पानी का संचार बढ़ता है। पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है। गहरी जुताई का शासन द्वारा प्रति हेक्टेयर ₹1500 का अनुदान भी देय है। ट्रैक्टर एवं जलाऊ एवं अन्य कृषि अभियांत्रिकी की इकाई के द्वारा रुपए 500 प्रति घंटे की दर पर उपलब्ध है।
4.प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल का बीमा अवश्य कराएं।
5.बीजों को छिटक कर न बोयें । सीडड्रिल द्वारा कतारों में बोनी करने से बीज कम लगता है तथा प्रत्येक पौधे को हवा, पानी, प्रकाश एवं खाद्य पदार्थ समान रूप से मिलते हैं। कृषि यंत्र चलाकर निराई की जा सकती है।
6.फसलों के उन्नत एवं प्रमाणित बीज ही बोयें एवं बोने से पूर्व बीज उपचार दवा कार्बेंडाजिम या ट्राइकोडरमाविडि से उपचारित करके ही बोयें। इससे फसलों में जड़ सड़न एवं उखटा रोग नहीं लगता। यह दवाएं बहुत सस्ती हैं एवं अनुदान पर उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त कल्चर, पीएसपी, बीजीए, एजोला आदि का प्रयोग करें, यह कीमत में सस्ते एवं लाभ अधिक देते हैं।
7.खेत की नई मेड़ पर तिल एवं अरहर की बोनी कर अतिरिक्त लाभ कमाया जा सकता है। कोदो, कुटकी एवं मक्का की फसल में तुअर की अंतरवर्ती खेती अर्थात 4 कतार कोदो, कुटकी एवं 2 कतार तिल या तुअर लगाने से कोदो, कुटकी की पैदावार पूरी मिलती है तथा तिल या तुअर की पैदावार अलग से बोनस के रूप में मिलती है।
8.हल्की एवं ढलान युक्त भूमि में धान की जगह तिल या तुअर लगाने से ज्यादा लाभ मिलता है। खेती के साथ-साथ गौ पालन, मुर्गी पालन, मछली पालन, सब्जियों, फलों एवं फूलों की खेती, मशरूम की खेती, मधुमक्खी पालन आदि करने से खेती से मिलने वाला भूसा, चारा, बेकार दाने आदि काम में आ जाते हैं। साथ ही पशुओं से मिलने वाला गोबर एवं गोमूत्र खेती के काम आ जाता है एवं वर्ष भर किसान को रोजगार एवं आय मिलती रहती है।
9.खेती का व्यवसाय जोखिम भरा है। उसे सूखा, पाला, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, बाढ़, भूकंप, कीट व्याधि, आग आदि प्राकृतिक प्रकोपों का सामना करना पड़ता है। इनसे बचने के लिए फसलों का बीमा अवश्य कराएं। इससे नुकसान होने पर भरपाई बीमा कंपनी या शासन द्वारा की जाती है।
10.फसलों को बदल-बदल कर बोयें। एक खेत में एक ही फसल बार-बार बोने से उत्पादन कम मिलता है एवं कीट एवं रोगों का प्रकोप अधिक होता है। पूरी जमीन में एक ही फसल न लगाएं बल्कि अलग-अलग टुकड़ों में तीन-चार फसलें लगाएं ताकि एक फसल नष्ट होने पर दूसरी फसल मिल सके।
11.वर्षा के जल को खेत में बलराम ताल बनाकर रोके, इससे सिंचाई करें। ढलान युक्त भूमि पर ढाल के विपरीत करें ताकि पानी के बहने की गति धीमी रहे, इससे मिट्टी का कटाव कम होगा एवं खेत की उपजाऊ शक्ति कम नहीं होगी। खेत के पास से गुजरने वाले नदी-नालों में बोरी या मिट्टी बंधान बनाकर जगह-जगह पानी रोके एवं खेतों को उपजाऊ बनाएं।
12.उर्वरक, बीज, कीटनाशक दवायें जो भी खरीदे हैं उनके पक्के बिल अवश्य लें ताकि आपको किसी व्यापारी द्वारा ठगा न जा सके। यदि बिल आपके पास है एवं बीज नकली या गलत होगा तो उस पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। पक्का बिल ना होने की दशा में दोषी व्यापारी बच जाता है । 13.बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाएं तथा बुवाई के लिए बीज एवं खाद एवं बीज उपचार औषधि पहले से खरीद कर रख लें। अभी आपको यह सभी आदान सामग्री आसानी से मिल जाएगी। बाद में एक साथ मांग होने से इनकी कमी के कारण काफी परेशानी उठानी पड़ती है।
आशा है आप उपरोक्त बातों पर ध्यान देकर अधिक से अधिक लाभ कमाएंगे एवं हमेशा खुश रहेंगे
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