आनुवंशिकी विज्ञान (The Science of Genetics)
प्रत्येक जीव सदैव पूर्व स्थित जीव से ही उत्पन्न होता है तथा कभी भी अपने आप स्वतः उत्पन्न नहीं होता है अर्थात जीव सदैव पैदा होता है, बढ़ता है तथा नई संतति को जन्म देकर स्वयं समाप्त हो जाता है। जीवो में नवीन संतति के निर्माण की क्रिया जनन कहलाती है ।
वैसे तो विभिन्न प्राणियों में कई प्रकार से जनन होता है परंतु उच्च श्रेणी में पौधों में मुख्यतः दो प्रकार से जनन होता है-
(1) अलैंगिक जनन अथवा वानस्पतिक जनन(Asexual or Vegetative Reproduction) तथा
(2) लैंगिक जनन(Sexual Reproduction) ।
अलैंगिक जनन में पौधे के किसी अंग अथवा भाग को काटकर भूमि में स्थापित कर दिया जाता है जिससे एक पूर्ण नया पौधा बन जाता है; जैसे-आलू ,गुलाब ,गन्ना आदि ।
परंतु लैंगिक जनन में मात्र पौधे पर अति सूक्ष्म विशेष प्रकार की लैंगिक कोशिकाएं बनती हैं जिन्हें युग्मक (gamete) कहते हैं । युग्मकें दो प्रकार की नर तथा मादा होती है । जानवरों में यह शुक्राणु(sperms) तथा अंडा (agg) कहलाती हैं यह क्रमशः अंडकोष (testes) तथा अंडाशय (ovary) में बनती हैं जबकि उच्च श्रेणी में पौधों में नर युग्मकें परागाशय में तथा मादा युग्म कें अंडाशय में बनती हैं । नर तथा मादा युग्मकों के मिलाप को निषेचन (fertilization) कहते हैं जिसके परिणामस्वरूप युक्ता (zygote) बनता है । युक्ता के विकास से एक नया पौधा बनता है । युक्ता बनाने की क्रिया से सिद्ध होता है कि माता-पिता तथा संतति के बीच युग्मकें ही भौतिक कड़ी (physical link) का कार्य करती हैं तथा इन्हीं के माध्यम से जनन पदार्थ की सततता बनी रहती है । माता-पिता और संतति के मध्य जनन पदार्थ की सततता को ही आनुवंशिकता (heredity) कहते हैं।
आनुवंशिकी : परिचय एवं संक्षिप्त इतिहास (Genetics : Introduction and a Brief History)
अंग्रेजी शब्द genetics की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द "gen"(gen =to become or to grow into) से हुई है जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ 'आनुवंशिकी' है जिसके अंतर्गत हम आनुवंशिकता (heredity) एवं विभिन्नता (variation) का अध्ययन करते हैं। आनुवंशिकता के अंतर्गत वे लक्षण (traits) सम्मिलित होते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं और इस प्रकार प्रत्येक प्राणी विशेष में निश्चित होते हैं (heredity incude those traits or characteristics which are transmitted from one generation to the next generation and is therefore, fixed for a particular individual)। वंशक्रम (descent) से संबंध जीव समूह में मिलने वाली विशेषताओं को जिनके द्वारा हर व्यक्ति का व्यक्तित्व एक दूसरे से भिन्न पहचाना जाता है, विविधता(variation) कहते हैं ।
विविधताएँ (variations) मुख्यत: दो प्रकार की होती हैं -
(1)अनुवंशिक (hereditary)और
(2)वातावरणीय (Environmental) ।
आनुवंशिक विभिन्नताएं पीढ़ी दर पीढ़ी माता-पिता से संतान में स्थांतरित होती रहती हैं, जबकि वातावरणीय विभिन्नताएं आस्थाई होती हैं जो केवल वातावरण के कारण उत्पन्न होती हैं एवं अगली पीढ़ी में भी स्थांतरित होती हैं आनुवंशिकी के अध्ययन के द्वारा ही हम वातावरणीय विभिन्नता एवं आनुवंशिकी विभिन्नता के अंतर को समझ पाते हैं ।
मेंडल (Mendel) के नियमों को तीन वैज्ञानिकों डच जीव वैज्ञानिक ह्यूगो डी व्रीज़ ( Hugo de Vries), जर्मन वनस्पति वैज्ञानिक कार्ल कॉरेन्स ( carl correns ) एवं आस्ट्रियाई वनस्पति वैज्ञानिक एरिक वॉन शर्मेक(Ericks Von Tschermak ) द्वारा अलग-अलग पुनः खोज वर्ष 1900 में की थी जिसके कारण आनुवंशिकी विज्ञान का आरंभ वर्ष 1900 से ही माना जाता है । परन्तु आनुवंशिकी के लिए जेनेटिक्स ( genetics ) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम डब्लू० बेटसन ( W . Bateson ) ने सन् 1905 में किया था ।
Hugo de Vries
(डच जीव वैज्ञानिक)
"अनुवंशिकी जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत हम आनुवंशिकता ( heredity ) एवं विभिन्नता का अध्ययन करते हैं ।"
"Genetics is a branch of biology which deals heredity and variation . "
GP
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जवाब देंहटाएंGood Blog
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